पाठय पाठय संस्कृतं
पाठय पाठय संस्कृतं पाठय
ग्रामनगरेषु संस्कृतं पाठय
देशविदेशेषु संस्कृतं पाठय
सामान्यस्थानेषु संस्कृतं पाठय ॥ १॥
सर्वत्र पाठय विश्वत्र पाठय
स्वगृहे पाठय शालायां पाठय
मन्दिरे पाठय मण्डपे पाठय
सर्वेषु कोणेषु संस्कृतं पाठय ॥ २॥
मातरं पाठय पितरं पाठय
भ्रातरं पाठय भगिनीं पाठय
यातारं पाठय देवरं पाठय
समग्रबान्धवान् संस्कृतं पाठय ॥ ३॥
बालकं पाठय स्थविरं पाठय
गायकं पाठय नतर्कं पाठय
पण्डितं पाठय पामरं पाठय
समस्तमानवान् संस्कृतं पाठय ॥ ४॥
प्रभाते पाठय मध्याह्ने पाठय
सन्ध्यायां पाठय निशायां पाठय
उषायां पाठय प्रदोषे पाठय
सर्वदा सन्ततं संस्कृतं पाठय ॥ ५॥
देशसेवनाय देवपूजनाय
ज्ञानोपासनाय तत्त्वबोधनाय
सर्वत्र पाठय सर्वदा पाठय
सर्वमङ्गलाय संस्कृतं पाठय ॥ ६॥
-- उषा जयरामन
Encoded and proofread by Usha Jayaraman