संस्कृतदिनाचरणस्तवम्
मुनिवरपोषित चित्तविकार समुज्वल सद्गुण रामकथाम्
प्रणवमहत्व विधातृ जगत्पति शङ्करभासित कल्पलताम् ।
सुमततिशोभित सत्त्वसनातन दिव्यकथामृत लोकहितम्
जय जय भारतकीर्तिविराजित सर्गविचारदिनाचरणम् ॥ १॥
गुणमहिमोदय वेदपुराणसरित्पतिविस्तृत तोयनिभम्
सकलमुनीश्वर कीर्तनवन्दित श्रेष्ठकथार्जित भासयुतम् ।
नतिनिभृतानन पार्षदयूथ समञ्चसघोषविधानतलम्
जय जय वेदविहायसि विश्रुतमन्त्रपवित्रदिनाचरणम् ॥ २॥
बहुजनचर्चित कीर्तिलताखिल चारुचतुष्पदनाभभृतम्
निखिलतलानृतपापविमोचनकाव्यसुधामल शक्तियुते ।
द्विजवरचर्वितजालमृदुस्वन धातृसुताक्षरधन्यव्रते
जय जय शङ्कर डम्बरवादन नादचतुर्दशसूत्रयुते ॥ ३॥
अखिलतपोबल सिद्धिनिबन्धित शास्त्रविशेषविधिप्रचुरे
उपनिषदां व्रततीततिपुष्पित रम्यमनोहरकान्तियुते ।
मुनिवरमुख्यतपस्थितसंगत युक्तिविचारविशेषतमम्
जय जय सत्ययुगेषु प्रचालित संस्कृतियुक्तदिनाचरणम् ॥ ४॥
वररुचिवार्तिकभाष्यपतञ्जलि पाणिनिसूत्रविशेषधृतम्
नटनकलालय नाट्यविशेष मनोहर विस्तृत शास्त्रभृतम् ।
गदशमनप्रतिपादित वेदसकुङ्कुम चित्रकफालतलम्
जय जय पुष्कलसाहितिनिर्भर ग्रन्थसमेतदिनाचरणम् ॥ ५॥
सहितमनस्सुख शान्तिसमुत्थित योगविशेषण कामदुगा-
अतिवरसंबहुवेगचतुष्क्रिय पूरित बन्धुर शास्त्रमतम् ।
कवनरसप्रतिपादितलक्षण कारिकया परिपुष्टधिया
जय जय नित्यं प्रतिधैर्विषयैः सूरिभिः घुषितदिनाचरणम् ॥ ६॥
गुणगणकर्मसु बद्धविकस्वर पूरितबन्धित काव्ययुते
शमयम मोक्षसमुन्नति तारक चिन्तित संगत ध्यानरते ।
प्रतिदिनराग गभस्तिभिरुत्थित सर्वचलत्पदशक्तियुते
जय जय सस्यवितानित कोमल सूक्ष्मपरिस्थितिरैक्यदिनम् ॥ ७॥
धनुगुणबन्धित बाणनियुक्त विदारणसैन्य विजेतृपथाम्
वरुणविभेदक पाशुपतस्थित पन्नग गारुड ब्रह्मयुतम् ।
मनुजमनोभव धारणपोषित आणवनाशकतुल्यबलम्
जय जय बुद्धिविशेष समार्जित शेषिविधान दिनाचरमम् ॥ ८॥
शृणु शृणु मास्मर चित्तसमाधि विशेषतपोमय सिद्धवरम्
वद वद ललित सम्मिलितोदय सुक्ष्मतलस्थित बोधगिरा ।
पठतु सदा निजशक्तिनिबन्धित भारतकाव्य विशिष्टसुधाम्
जय जय मंगलसूक्तिविराजित राज्यपवित्र दिनाचरणम् ॥ ९॥
जनहितसम्मतिदान समुज्वलशासनशोभित राष्ट्रहिते
गुणगण चूषण मर्द्दन पीडन मुक्तिविधान व्यवस्थितये ।
समतुलितैकमनस्थितिपूरित नीतिसुतार्यपदस्थितये
जय जय लोकहिताय विशिष्ट वनान्तर सम्पद्सुखमिलिते ॥ १०॥
by Narayanan N