संसार को संस्कृत की देन
संस्कृत ने ही सबसे पहले जग को ऊँचा ज्ञान दिया है,
इसने ही तो ``सोऽहमस्मि'' का शुभ सन्देश महान दिया है । ०
``मा भै:'' की शिक्षा दे इसने ही हमको निर्भीक बनाया,
नित्य ``अदीनाः स्याम'' पढ़ाकर हमें दैन्य को दूर भगाया,
``ईशावास्यमिदं'' कह सबमें ईश्वर-साक्षात्कार कराती,
यही हमें नर से नारायण बनने का है पाठ पढ़ाती,
हमें ``तत्त्वमसि'' कह इसने ही महाशक्ति का दान दिया है,
संस्कृत ने ही सबसे पहले जग को ऊँचा ज्ञान दिया है । १
``आचारः प्रथमो धर्मः'' का इसने ही आदर्श सिखाया,
इसने ही ``भूमैव सुखं'' का सबसे पहले तत्त्व बताया,
``देश-जाति का रूप-रंग का भेदभाव मिथ्या है सारा-
एक-एक प्राणी वसुधा का बन्धु और परिवार हमारा''
इस उदात्तता का संस्कृत ने ही नर को वरदान दिया है,
संस्कृत ने ही सबसे पहले जग को ऊँचा ज्ञान दिया है । २
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
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