संस्कृत और भारत की गरिमा
संस्कृत का साहित्य हमारे गौरव का अनमोल खान है,
इससे ही तो हमने जग में गुरु का पद पाया महान है ।
कहो, जगत में किसने पाणिनि जैसा वैयाकरण दिया है,
कहाँ पतंजलि जैसे, बोलो भाष्यकार ने जन्म लिया है,
प्रखर बुद्धि आचार्य कहाँ फिर शंकर जैसा अन्य हुआ है,
कौन आर्य चाणक्य सदृश बुध राजनीति-मूर्धन्य हुआ है,
वेद और वेदान्त हमारा स्वाभिमान वह मूर्तिमान है,
आज विश्व-साहित्य-गगन में जिसका यश छाया महान है
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
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