संस्कृतसाहित्य की एक झाँकी

संस्कृतसाहित्य की एक झाँकी

आओ भाई संस्कृत का कुछ परिचय तुम्हें करावें, इसके साहित्यिक वैभव की झाँकी एक दिखावें । इसके पावन पद-पद्मों पर, आओ शीश झुकाओ, आज प्रतिज्ञा लेकर इसकी रक्षा का, घर जाओ । १ यह दुनिया की भाषाओं में सबसे पहली भाषा, सबसे शिष्ट परिष्कृत कोमल यह इसकी परिभाषा । भारत के सब ज्ञान-कला का अक्षय यही खजाना, इसका काम सभी लोगों को सुन्दर सुखी बनाना । २ ये हैं चारो वेद जगत के आदिम ग्रन्थ महान, जिनसे मिला विश्व को पहले ज्ञान ज्योति का दान । ब्राह्मण ग्रन्थ तथा आरण्यक वेदों के परिशिष्ट, और चार उपवेद अङ्ग छ वैदिक अङ्ग विशिष्ट । ३ इधर वेद-साहित्य शिरोमणि ये उपनिषद महान, सत्य-ज्ञान-आनन्द-शान्तिमय जीवन के सोपान । गौतम-कपिल-कणाद-पतञ्जलि-जैमिनि व्यास-विनिर्मित, ये छ दर्शन-शास्त्र हमारे ज्ञानसमुद्र असीमित । ४ यहाँ आदि कवि वाल्मीकि की अमर काव्यमय धारा, जिसका दिव्य सुधा रस पीकर जीवित देश हमारा । व्यास-महामुनि की प्रतिभा का इधर दिव्य वरदान, पञ्चम वेद महाभारत है भारत का अभिमान । ५ ये हैं पूज्य पुराण अठारह उपपुराण समवेत, धर्म-नीति-इतिहास-सुभाषित-नानाविषय-समेत । याज्ञवल्क्य-मनु-आदि रचित ये धर्मग्रन्थ अनेक, सदाचार-वर्णाश्रम-विधि का जिनमें विशद विवेक । ६ गणित-फलित-सिद्धान्त-सहित यह ज्योतिष शास्त्र अपार, यह अष्टाङ्ग चिकित्सा-तरु का शाखा-शत-विस्तार । शिल्प-कला-सङ्गीत-नाट्य के यहाँ ग्रन्थ ये आकर, कामशास्त्र के ग्रन्थ इधर ये स्नेह-सौख्य-रत्नाकर । ७ यहाँ काव्य-नाटक चम्पू का भव्य विपुल विस्तार, विविध छन्द सज्जा शैली का यह अनुपम सम्भार । सरस मधुर कोमल कविता का यह सुन्दर उद्यान, जहाँ दूर से मुग्ध मधुप आ करते हैं मधुपान । ८ इधर चित्र-काव्यों की देखें चारु चमत्कृति-शाली- अखिल विश्व में अपनी जैसी रचना एक निराली । एकाक्षर द्वयक्षर बह्वर्थक विपर्यस्त कवितायें, इस उपवन की रंग-बिरंगी सभी कुसुम-कलिकायें । ९ नीति-सुभाषित ग्रन्थों की यह अनुपम मणिमय माला, एक-एक दाने से होता जिनके परम उजाला । यहाँ देखिये लोक कथाओं का साहित्य अपार, गद्य-पद्यमय परम मनोहर सत्-शिक्षा आगार । १० यहाँ देखिये स्तुतिग्रन्थों का एक अलग संसार, जहाँ भक्ति-करुणा-वत्सलता की बहती रसधार । यहाँ ललित-गीतों का, देखें, मोहक स्वर-सञ्चार, एक एक पद में वाणी का नव नूपुर-झङ्कार । ११ वैदिक गृह्य कर्मकाण्डों का यह संघात महान, पूजा यज्ञ तीर्थ व्रत संस्कारों का विविध विधान । यह काश्मीरिक शैव तन्त्र-ग्रन्थों का एक निकाय, मन्त्र-साधना के ग्रन्थों का यह अद्भुत समुदाय । १२ यह, देखो, हैं कालिदास की अद्भुत कृतियाँ सारी, एक एक कविता है इनकी निधि अनमोल हमारी । यहाँ देखिये पाणिनि मुनि की अद्भुत अष्टाध्यायी, जिसने जग में भारत-भू की अमर कीर्ति फैलायी । १३ गुरु वशिष्ठ का विस्मयकारी यह कर्तृत्व महान, ग्रन्थ योगवाशिष्ठ देखिये ज्ञान-समुद्र-समान । यहाँ आर्य चाणक्य महामति की प्रतिभा का वैभव, ग्रन्थ देखिये अर्थशास्त्र यह भारत-भू का गौरव । १४ यह वाराह मिहिर की देखें, बृहत्संहिता कैसी, रचना नाना-विषय-समन्वित अद्भुत सागर जैसी । व्यासदास क्षेमेन्द्र महाकवि का यह ग्रन्थ-वितान, सकल लोक-चातुर्य-कला का अनुपम एक निधान । १५ बौद्ध-जैन-संस्कृत-ग्रन्थों का यह अद्भुत भण्डार, इधर देखिये, शत-शत अनुपम रत्नों का आगार । वैदिक-बौद्ध-जैन-कृतियों का संस्कृत पावन सङ्गम, जिसकी धारा से भारत का प्लावित स्थावर-जङ्गम । १६ भाषा या साहित्य नहीं यह वाणी का श‍ृङ्गार, यह स्वर्गीय सुधा का शीतल सुरभित रसमय धार । भारत की साहित्य-साधना-संस्कृति का यह प्राण, इसकी रक्षा में ही निश्चित भारत का कल्याण । इसका शुभ दर्शन कर अपना जीवन धन्य बनाओ, आज प्रतिज्ञा लेकर इसकी रक्षा का, घर जाओ । १७ -- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री Proofread by Mandar Mali
% Text title            : Sanskritasahitya Ki Eka Jha.nki
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% itxtitle              : saMskRita sAhitya kI eka jhA.NkI (saMskRitagauravagAna saMskRitaprachAragIta, hindI)
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% Category              : misc, sanskritgeet
% Location              : doc_z_misc_general
% Sublocation           : misc
% Author                : Vasudev Dwivedi Shastri
% Language              : Hindi
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Proofread by          : Mandar Mali
% Description/comments  : Sanskrita Prachara Pustaka Mala Sangraha 37
% Indexextra            : (Scans 1, 2)
% Acknowledge-Permission: Uttara Pradesha Sarvabhauma Sanskrit Prachar Karyalaya
% Latest update         : May 19, 2024
% Send corrections to   : sanskrit at cheerful dot c om
% Site access           : https://sanskritdocuments.org

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