संस्कृतसेवा आवश्यक निवेदन अंग्रेजी के विद्वानों से
अंग्रेजी भाषा के विश्रुत माननीय विद्वान ?
भारत की शिक्षा-उन्नति के आशा-केन्द्र महान ?
आज आप भी दें संस्कृत की सेवा में सहयोग,
इसकी रक्षा और वृद्धि के लिए करे उद्योग । १
संस्कृत के उत्त्थान-पतन की चिन्ता से निर्मुक्त-
रहना होगा विद्वानों के लिए नहीं अब युक्त ।
केवल अंग्रेजी-भाषा को ही सर्वस्व न मानें
अपनी भी साहित्य-सम्पदा को कृपया पहचानें । २
मत समझें इसकी चर्चा में लाघव की आशङ्का,
इसके पढ़ने-लिखने में भी नहीं हानि की शङ्का,
इसकी चर्चा को भी अब से अपना विषय बनावें,
इसकी उन्नति-हित भी थोड़ा अपना समय लगावें । ३
स्वयं आप भी करें यथावत् आजत इसका ज्ञान,
निज पुत्रों की शिक्षा में भी दें कुछ इसको स्थान ।
विद्यालय में भी अब इसका करें उचित सत्कार,
बातचीत में भी हो थोड़ा इसका भी व्यवहार । ४
संस्कृत के विद्वान करेंगे संस्कृत का सब काम-
ऐसा सोच न होगा इससे लेना उचित विराम ।
स्वयं आपके ऊपर भी है ऋषियों का ऋण-भार
संस्कृत के द्वारा ही होता जिससे है उद्धार । ५
शेक्सपियर शैली मिल्टन की रचनाओं के स्वाद-
आप खूब लें, इसमें हमको कोई नहीं विवाद ।
पर संस्कृत की रचनाओं का बिलकुल ही अज्ञान,
नहीं आपको शोभा देता, यह भी सत्य महान । ६
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
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