संस्कृत विद्यालयों का महत्त्व
ये संस्कृत के विद्यालय ।
करते शास्त्रों की रक्षा,
देते चरित्र की शिक्षा,
इनसे ही सबको मिलती,
शील विनय की दीक्षा,
ये पुण्यभूमि देवालय ।
इन नग्न--भग्न भवनों में,
इन जीर्ण-शीर्ण सदनों में,
भारत-संस्कृति की आत्मा-
वसती इन पुण्य वनों में,
ये त्याग तपो गरिमालय ।
ये पुण्यस्थल हैं सारे,
अति पावन तीर्थ हमारे,
इनकी रक्षा में रक्षित,
सारस्वत कोष हमारे,
प्रतिभा के तुङ्ग हिमालय ।
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
Proofread by Mandar Mali