गौरीपतिशतनामस्तोत्रम्

गौरीपतिशतनामस्तोत्रम्

बृहस्पतिरुवाच - नमो रुद्राय नीलाय भीमाय परमात्मने । कपर्दिने सुरेशाय व्योमकेशाय वै नमः ॥ १॥ बृहस्पतिजी बोले- रुद्र, नील, भीम और परमात्माको नमस्कार है । कपर्दी (जटाजूटधारी) , सुरेश (देवताओंके स्वामी) तथा आकाशरूप केशवाले व्योमकेशको नमस्कार है ॥ १॥ वृषभध्वजाय सोमाय सोमनाथाय शम्भवे । दिगम्बराय भर्गाय उमाकान्ताय वै नमः ॥ २॥ जो अपनी ध्वजामें वृषभका चिह्न धारण करनेके कारण वृषभध्वज हैं, उमाके साथ विराजमान होनेसे सोम हैं, चन्द्रमाके भी रक्षक होनेसे सोमनाथ हैं, उन भगवान शम्भुको नमस्कार है । सम्पूर्ण दिशाओंको वस्त्ररूपमें धारण करनेके कारण जो दिगम्बर कहलाते हैं, भजनीय तेजः- स्वरूप होनेसे जिनका नाम भर्ग है, उन उमाकान्तको नमस्कार है ॥ २॥ तपोमयाय भव्याय शिवश्रेष्ठाय विष्णवे । व्यालप्रियाय व्यालाय व्यालानां पतये नमः ॥ ३॥ जो तपोमय, भव्य (कल्याणरूप) , शिवश्रेष्ठ, विष्णुरूप, व्यालप्रिय (सर्पोंको प्रिय माननेवाले) , व्याल (सर्पस्वरूप) तथा सर्पोंके स्वामी हैं, उन भगवानको नमस्कार है ॥ ३॥ महीधराय व्याघ्राय पशूनां पतये नमः । पुरान्तकाय सिंहाय शार्दूलाय मखाय च ॥ ४॥ जो महीधर (पृथ्वीको धारण करनेवाले) , व्याघ्र (विशेषरूपसे सूँघनेवाले) , पशुपति (जीवोंके पालक) , त्रिपुरनाशक, सिंहस्वरूप, शार्दूलरूप और यज्ञमय हैं, उन भगवान शिवको नमस्कार है ॥ ४॥ मीनाय मीननाथाय सिद्धाय परमेष्ठिने । कामान्तकाय बुद्धाय बुद्धीनां पतये नमः ॥ ५॥ जो मत्स्यरूप, मत्स्योंके स्वामी, सिद्ध तथा परमेष्ठी हैं, जिन्होंने कामदेवका नाश किया है, जो ज्ञानस्वरूप तथा बुद्धि- वृत्तियोंके स्वामी हैं, उनको नमस्कार है ॥ ५॥ कपोताय विशिष्टाय शिष्टाय सकलात्मने । वेदाय वेदजीवाय वेदगुह्याय वै नमः ॥ ६॥ जो कपोत (ब्रह्माजी जिनके पुत्र हैं) , विशिष्ट (सर्वश्रेष्ठ), शिष्ट (साधु पुरुष) तथा सर्वात्मा हैं, उन्हें नमस्कार है । जो वेदस्वरूप, वेदको जीवन देनेवाले तथा वेदोंमें छिपे हुए गूढ़ तत्त्व हैं, उनको नमस्कार है ॥ ६॥ दीर्घाय दीर्घरूपाय दीर्घार्थायाविनाशिने । नमो जगत्प्रतिष्ठाय व्योमरूपाय वै नमः ॥ ७॥ जो दीर्घ, दीर्घरूप, दीर्घार्थस्वरूप तथा अविनाशी हैं, जिनमें ही सम्पूर्ण जगत्की स्थिति है, उन्हें नमस्कार है तथा जो सर्वव्यापी व्योमरूप हैं, उन्हें नमस्कार है ॥ ७॥ गजासुरमहाकालायान्धकासुरभेदिने । नीललोहितशुक्लाय चण्डमुण्डप्रियाय च ॥ ८॥ जो गजासुरके महान काल हैं, जिन्होंने अन्धकासुरका विनाश किया है, जो नील, लोहित और शुक्लरूप हैं तथा चण्ड- मुण्ड नामक पार्षद जिन्हें विशेष प्रिय हैं, उन भगवान (शिव) - को नमस्कार है ॥ ८॥ भक्तिप्रियाय देवाय ज्ञात्रे ज्ञानाव्ययाय च । महेशाय नमस्तुभ्यं महादेव हराय च ॥ ९॥ जिनको भक्ति प्रिय है, जो द्युतिमान देवता हैं, ज्ञाता और ज्ञान हैं, जिनके स्वरूपमें कभी कोई विकार नहीं होता, जो महेश, महादेव तथा हर नामसे प्रसिद्ध हैं, उनको नमस्कार है ॥ ९॥ त्रिनेत्राय त्रिवेदाय वेदाङ्गाय नमो नमः । अर्थाय चार्थरूपाय परमार्थाय वै नमः ॥ १०॥ जिनके तीन नेत्र हैं, तीनों वेद और वेदांग जिनके स्वरूप हैं, उन भगवान शंकरको नमस्कार है! नमस्कार है! जो अर्थ (धन) , अर्थरूप (काम) तथा परमार्थ (मोक्षस्वरूप) हैं, उन भगवानको नमस्कार है! ॥ १०॥ विश्वभूपाय विश्वाय विश्वनाथाय वै नमः । शङ्कराय च कालाय कालावयवरूपिणे ॥ ११॥ जो सम्पूर्ण विश्वकी भूमिके पालक, विश्वरूप, विश्वनाथ, शंकर, काल तथा कालावयवरूप हैं, उन्हें नमस्कार है ॥ ११॥ अरूपाय विरूपाय सूक्ष्मसूक्ष्माय वै नमः । श्मशानवासिने भूयो नमस्ते कृत्तिवाससे ॥ १२॥ जो रूपहीन, विकृतरूपवाले तथा सूक्ष्मसे भी सूक्ष्म हैं, उनको नमस्कार है, जो श्मशानभूमिमें निवास करनेवाले तथा व्याघ्रचर्ममय वस्त्र धारण करनेवाले हैं, उन्हें पुनः नमस्कार है ॥ १२॥ शशाङ्कशेखरायेशायोग्रभूमिशयाय च । दुर्गाय दुर्गपाराय दुर्गावयवसाक्षिणे ॥ १३॥ जो ईश्वर होकर भी भयानक भूमिमें शयन करते हैं, उन भगवान चन्द्रशेखरको नमस्कार है । जो दुर्गम हैं, जिनका पार पाना अत्यन्त कठिन है तथा जो दुर्गम अवयवोंके साक्षी अथवा दुर्गारूपा पार्वतीके सब अंगोंका दर्शन करनेवाले हैं, उन भगवान् शिवको नमस्कार है ॥ १३॥ लिङ्गरूपाय लिङ्गाय लिङ्गानां पतये नमः । नमः प्रलयरूपाय प्रणवार्थाय वै नमः ॥ १४॥ जो लिंगरूप, लिंग (कारण) तथा कारणोंके भी अधिपति हैं, उन्हें नमस्कार है । महाप्रलयरूप रुद्रको नमस्कार है। प्रणवके अर्थभूत ब्रह्मरूप शिवको नमस्कार है ॥ १४॥ नमो नमः कारणकारणाय मृत्युञजयायात्मभवस्वरूपिणे । श्रीत्र्यम्बकायासितकण्ठशर्व गौरीपते सकलमङ्गलहेतवे नमः ॥ १५॥ जो कारणोंके भी कारण, मृत्युंजय तथा स्वयम्भूरूप हैं, उन्हें नमस्कार है । हे श्रीत्र्यम्बक! हे असितकण्ठ! हे शर्व! हे गौरीपते! आप सम्पूर्ण मंगलोंके हेतु हैं; आपको नमस्कार है ॥ १५॥ ॥ इति गौरीपतिशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥ ॥ इस प्रकार गौरीपतिशतनामस्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ॥

गौरीपतिशतनामस्तोत्रम्

नमो रुद्राय नीलाय भीमाय परमात्मने । कपर्दिने सुरेशाय व्योमकेशाय वै नमः ॥ १॥ वृषभध्वजाय सोमाय सोमनाथाय शम्भवे । दिगम्बराय भर्गाय उमाकान्ताय वै नमः ॥ २॥ तपोमयाय भव्याय शिवश्रेष्ठाय विष्णवे । व्यालप्रियाय व्यालाय व्यालानां पतये नमः ॥ ३॥ महीधराय व्याघ्राय पशूनां पतये नमः । पुरान्तकाय सिंहाय शार्दूलाय मखाय च ॥ ४॥ मीनाय मीननाथाय सिद्धाय परमेष्ठिने । कामान्तकाय बुद्धाय बुद्धीनां पतये नमः ॥ ५॥ कपोताय विशिष्टाय शिष्टाय सकलात्मने । वेदाय वेदजीवाय वेदगुह्याय वै नमः ॥ ६॥ दीर्घाय दीर्घरूपाय दीर्घार्थायाविनाशिने । नमो जगत्प्रतिष्ठाय व्योमरूपाय वै नमः ॥ ७॥ गजासुरमहाकालायान्धकासुरभेदिने । नीललोहितशुक्लाय चण्डमुण्डप्रियाय च ॥ ८॥ भक्तिप्रियाय देवाय ज्ञात्रे ज्ञानाव्ययाय च । महेशाय नमस्तुभ्यं महादेव हराय च ॥ ९॥ त्रिनेत्राय त्रिवेदाय वेदाङ्गाय नमो नमः । अर्थाय चार्थरूपाय परमार्थाय वै नमः ॥ १०॥ विश्वभूपाय विश्वाय विश्वनाथाय वै नमः । शङ्कराय च कालाय कालावयवरूपिणे ॥ ११॥ अरूपाय विरूपाय सूक्ष्मसूक्ष्माय वै नमः । श्मशानवासिने भूयो नमस्ते कृत्तिवाससे ॥ १२॥ शशाङ्कशेखरायेशायोग्रभूमिशयाय च । दुर्गाय दुर्गपाराय दुर्गावयवसाक्षिणे ॥ १३॥ लिङ्गरूपाय लिङ्गाय लिङ्गानां पतये नमः । नमः प्रलयरूपाय प्रणवार्थाय वै नमः ॥ १४॥ मृत्युञजयायात्मभवस्वरूपिणे । गौरीपते सकलमङ्गलहेतवे नमः ॥ १५॥ ॥ इति श्रीनारदपुराणान्तर्गरं गौरीपतिशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥ ॥ इस प्रकार गौरीपतिशतनामस्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ॥ श्रीनारदपुराण अध्यायः १२२ ५२-६६ Naradapurana Adhyaya 122 shloka 52-66 Proofread by Ganesh Kandu
% Text title            : Gauripati Shatanama Stotram
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% Category              : shiva, aShTottarashatanAma
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% Language              : Sanskrit
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% Proofread by          : Ganesh Kandu
% Description/comments  : From Shivastotraratnakara, Gita press, See corresponding nAmAvaliH.  Naradapurana Adhyaya 122 shloka 52-66
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% Latest update         : June 26, 2022
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