शिवजयस्तोत्रम्

शिवजयस्तोत्रम्

(शिवरहस्यान्तर्गते ईशाख्ये) (सुब्रह्मण्यप्रोक्तम्) जय कैलासनिलय जय शैलात्मजापते । जय मन्दाकिनीभूष जय वृन्दारकर्चित ॥ ४॥ जय कामाङ्गदहन जय वामाङ्गशैलज । जय सोमकलामौले जय भ्रूमध्यलोचन ॥ ५॥ जय रुद्र महादेव जय भद्रवरासन । जय नागेन्द्रकेयूर जय योगीन्द्रसेवित ॥ ६॥ जय गङ्गाधरेशान जय भोगापवर्गद । जय रागादिदोषघ्न जय नागाननप्रिय ॥ ७॥ जय विश्वप्रकाशात्मन् जय विश्वविधायक । जय विश्वाधिप स्वामिन् जय विश्वाधिकप्रभो ॥ ८॥ जय दिव्यपटीराङग जय हव्यप्रियाव्यय । जय शम्भो वृषारूढ जय कुम्भोद्भवस्तुत ॥ ९॥ जय शक्तित्रयाराध्य जय मुक्तिसुखप्रद । जय भक्तपराधीन जय मुक्तजनेडित ॥ १०॥ जय प्रणतमन्दार जय प्रणवविग्रह । जय बद्धजटाजूट जय सिद्धवराकृते ॥ ११॥ जय पुष्करपत्राक्ष जय पुष्करमूर्धज । जय दुष्कर्मनिर्मूल जय निष्कल्मषव्रज ॥ १२॥ जय वित्तेशवरद जय मत्तेन्द्रसूदन । जय कोट्यर्कसङ्काश जय नाट्यविशारद ॥ १३॥ जय कल्पितविध्यण्ड जय कल्पान्त भैरव । जय तेजोमयाकार जय वाजीकृतानन ॥ १४॥ जय क्षोणीरथारूढ जय वाणीशसारथे । जय पर्वतकोदण्ड जय मौर्वीकृतोरग ॥ १५॥ जयार्केन्दुहुताशाक्ष जय सेवकवर्धन । जय त्रिपुण्ड्रनिटिल जय त्रिपुरशासन ॥ १६॥ जय पञ्चाक्षरीरूप जय पञ्चाननोज्ज्वल । जय पञ्चत्वरहित जय पञ्चदशाम्बक ॥ १७॥ जय पार्श्वस्थितस्कन्द जय शाश्वतवैभव । जय वेदशिरोवेद्य जय नादपरायण ॥ १८॥ जय श्रीदक्षिणामूर्ते जय श्रीद महेश्वर । जयापस्मार न्यस्ताङ्घ्रे जय विस्मयविक्रम ॥ १९॥ जय वीरासनासीन जयघोरनिवारण । जय पुष्कर हस्ताब्ज जय ध्वस्तजलन्धर ॥ २०॥ जय निस्तुललावण्य जय वास्तु सुपूजित । जयरुद्राक्षमालाढ्य जय मुद्रोज्ज्वलत्कर ॥ २१॥ जय क्षुद्रधनध्वंसिन् जय रुद्रगणार्चित । जय शौरिकृतस्तोत्र जय दूरीकृतामय ॥ २२॥ जय केशववन्द्याङ्घ्रे जय देशिकपुङ्गव । जय मायादिरहित जय ध्येयावनीसुर(?) ॥ २३॥ जय वन्दितदेवौघ जय नन्दिमुखस्तुत । जय बोधितविज्ञान जय मोदिततापस ॥ २४॥ जय भेदितसंसार जयानन्तगुणाकर । जयान्तकवधोद्युक्त जयान्धकविनाशन ॥ २५॥ जय वाङ्मनसागम्य जय वाचस्पतीडित । जय सद्भस्मलिप्ताङ्ग जय सद्भक्तवत्सल ॥ २६॥ जय दारिद्र्यमूलघ्न जय दारितदुर्जन । जय धर्मादिफलद जय निर्माय सौख्यद ॥ २७॥ जय चण्डेशवरद जय दण्डपराक्रम । जय भृङ्गिमनोवास जय सङ्गीतपण्डित ॥ २८॥ जय वर्णितचारित्र जय वर्णाश्रमोचित । जय साम्ब दयासिन्धो जय जाम्बूनदाम्बर ॥ २९॥ जय कंसघ्न दुर्दर्श जय हंसस्थदुर्लभ । जय भीमाङ्ग शरभ जय सामाङ्गपारग ॥ ३०॥ जय कैरातशारीर जय वैराग्यसिद्धिद । जय दावानलाकार जय देवारिमर्दन ॥ ३१॥ जय कालीकृकोल्लास जय केलीविलासग । जय दक्षमखच्छेद जय नक्षत्रहारक ॥ ३२॥ जय पूषरदध्वंसिन् जय भेषजसत्त्म । जय काशसुमाकार जयाकाशविहारक ॥ ३३॥ जय शुद्धान्तरङ्गस्थ जय मध्यान्तवर्जित । जय प्रमथयूथेश जय श्रमविनाशन ॥ ३४॥ जय प्रधानपुरुष जयाजास्यनिकृन्तन । जय मौनव्रतपर जय दीनजनावन ॥ ३५॥ जय देवर्षिसंस्तव्य जय देवशिखामणे । जय नारदगानेड्य जय शीतांशुशेखर ॥ ३६॥ जय दारुवनान्तःस्थ जय चारुकलेवर । जय भिक्षाटनरत जय यक्षाधिपार्चित ॥ ३७॥ जय वीतरिपुस्तोम जय भूतपते मृड । जय सर्वोत्तमस्थान जय सर्वोपकारक ॥ ३८॥ जय श्रीकण्ठ भगवन् जय वैकुण्ठचक्रद । जय हृत्पद्ममध्यस्थ जय सत्पदसंस्थित ॥ ३९॥ जय मन्दरशैलस्थ जय सुन्दर साम्बिक । जय मेरुशिरोवास जय हारीकृतोरग ॥ ४०॥ जयरामकृतापदघ्न(?) जय हेमसभापते । जय स्थाणो पशुपते जय वीणालसत्कर ॥ ४१॥ जय व्याघ्राजिनधर जय व्याघ्राङ्घ्रिसेवित । जय सप्तर्षिविनुत जय दीप्तशिरोरुह ॥ ४२॥ जय विप्रवराकार जय क्षिप्रवरप्रद । जय कर्मादिदूरस्थ जय धर्मभृतां वर ॥ ४३॥ जय सुगुणसन्दोह जय निर्गुणवल्लभ । जय वामाङ्गरहित जय भामाङ्गदायक ॥ ४४॥ जय क्षयकराजाण्ड जय ध्येय महामते । जय जन्मजराहीन जय सन्मानसंस्थित ॥ ४५॥ जय त्रिलिङ्गहीनाङ्ग जय श्रीलिङ्गपूजित । जय टङ्कगदाहस्त जय शङ्कर धूर्जटे ॥ ४६॥ जय लिङ्गशरीरघ्न जय संसर्गकोविद । जय तापत्रयच्छेद जय रूपत्रयात्मक ॥ ४७॥ जय दातृत्वनिपुण जय मातृकयादृत । जय मन्दारसद्भूष जय वन्दारुनन्दित ॥ ४८॥ जय वाणीकृतस्तोत्र जय माणिक्यकुण्डल । जय पद्मार्चितपद जय पद्मारुणप्रभ ॥ ४९॥ जय हंसाग्र सुखद जय संसारतारक । जय कल्याणपुरुष जय कल्याणसन्तत ॥ ५०॥ जय कन्दलितानन्द जय कुन्दरदद्युते । जय मन्दस्मितमुख जय चन्दनशीतल ॥ ५१॥ जय विज्ञानवाराशे जय प्रज्ञानकल्पक । जय त्रिकाल कालात्मन् जय कालत्रयातिग ॥ ५२॥ जय शर्व भवेशान जय सर्वज्ञ कामद । जय भर्ग महाबाहो जय दुर्गार्तिनाशन ॥ ५३॥ जय कल्याणगिरिश जय संहारकारण । जय गोक्षीरवर्णाङ्ग जय साक्षिजगत्त्रय ॥ ५४॥ जय नित्यादिकलित जयामरवरार्चित । जय रौराद्रिदम्भोले जय भागीकृताच्युत ॥ ५५॥ जयाग्रेसर विध्वंसिन् जय ग्राहविनाशक । जय शान्तासुरध्वंसिन् जय कान्तारमध्यग ॥ ५६॥ जय दण्डासुरहर जय मुण्डासुरान्तक । जयेष्टिकासुरहर जयेष्टिफलदायक ॥ ५७॥ जय क्षेमङ्कर शिव जय हेमाङ्गदोज्ज्वल । जय देव विराड्रूप जय कैवल्यवल्लभ ॥ ५८॥ जय देहात्ममोहन जय मोहनविग्रह । जय क्षराक्षरातीत जय घोरार्तिखण्डन ॥ ५९॥ जय रत्नगृहावास जय रत्नमयासन । जय दौर्भाग्यतूलाग्ने जय गर्भधृताखिल ॥ ६०॥ जय सञ्चितदोषघ्न जय काञ्चनदेहक । जय विद्रुमतुल्याङ्घ्र जय कद्रुसुखार्चित ॥ ६१॥ जय चण्डप्रचण्डेश जय दण्डधनुर्धर । जय क्रूराभिचारघ्न जय दारसुतान्वित ॥ ६२॥ जय जीमूतसुखद जयभूमूलमन्दिर । जय खण्डितपाषण्ड जय चण्डगणान्वित ॥ ६३॥ जय प्रशान्तमहिमन् जय कोशोत्तरस्थित । जय सर्वमनुध्येय जय सर्ववशीकृत ॥ ६४॥ जय पूर्णदयादृष्टे जय मार्कण्डरक्षक । जयाथ मन्युसुप्रीत जय सत्पद्मभास्कर ॥ ६५॥ जय प्रपञ्चनिर्मातर्जय सर्व विधायक । जय स्वतेजसाभास जय लोकैकपालक ॥ ६६॥ जयाग्नीन्दुजलादित्यव्योमानिलमहीमय । जय प्रकृतिमुख्येश जय त्रिगुणकल्पक ॥ ६७॥ जय निर्व्याजकरुण जय विद्याधिनायक । जयापारकृपासिन्धो जयाचिन्त्यगुणोदय ॥ ६८॥ जय शौर्यमहाधैर्य जय धर्मैककारण । जय ब्रह्मादिकीटान्त व्याप्तस्वच्छन्दविग्रह ॥ ६९॥ जय भाषापतिश्रीश जय वर्णितवैभव । जय प्रलयसञ्जात जय कालाग्निरुद्रक ॥ ७०॥ जय सङ्कल्पनामात्रविनिर्मितजगत्त्रय । जय श्रीशविधीन्द्राद्य जय सर्वनियोजक ॥ ७१॥ जय हीनसमाधिक्य जय वार्धक्यवर्जित । जय नीलोत्पलश्याम जय वर्णविराजित ॥ ७२॥ जय कर्पूरधवल जय चारुशुभाकृते । जय ध्वजाङ्कुशाभोग जय चक्रलसत्पद ॥ ७३॥ जय सौवर्णवसन जय राजत्कटीतट । जय पीनोरुजघन जयराजितविश्वप ॥ ७४॥ जय मुक्ताफलीहार जय वज्राङ्गदोज्ज्वल । जय दीघचतुर्बाहो जय कङ्कणमण्डित ॥ ७५॥ जयाऽभीतिवरोपेत जय बाहुद्वयान्वित । जय ज्वलन्महानील जय भूषितसद्गल ॥ ७६॥ जय सुन्दर सस्मेर जय वक्त्रविराजित । जय कुण्डलविभ्राज जय कुण्डलिकुण्डल ॥ ७७॥ जय चाम्पेयनासाग्र जय बिम्बाधरोज्ज्वल । जय पावकचन्द्रार्क जय लोचनभूषित ॥ ७८॥ जय कोकनदोद्भास(सि) जय कोटीर शोभित । जयाऽपारामितानन्द जय सुन्दर विग्रह ॥ ७९॥ जय स्कन्दगणाधीश जय भद्रादिसेवित । जयानेकमहाचित्र जय शक्तिगणावृत ॥ ८०॥ जय निस्तुल विज्ञान जयानन्दमहोदधे । जयाविद्यान्धकारार्क जय श्रीमन्महेश्वर ॥ ८१॥ जय कूटस्थ परम जय शूलायुधावृत । जयाप्रतर्क्यविभव जय सन्ततमङ्गल ॥ ८२॥ जय नित्यमहाभाग जय लिङ्गार्चनप्रिय । जय ज्वरादिरोगघ्न जय श्रीरुद्रमध्यग ॥ ८३॥ जय मार्ताण्डमध्यमस्थ जय पावकमध्यग । जय चन्द्रान्तनिलय जय बिन्दुकलात्मक ॥ ८४॥ जय श्रीचक्रसंस्थान जय भूचक्रपीठभूः । जय नादकलातीत जय वादिविभेदन ॥ ८५॥ जय तत्पूर्षमन्त्रार्थ जयाऽघोरास्त्रनायक । जयेशान विरूपाक्ष जयवामादिसद्यक ॥ ८६॥ जय शुक्रकृतस्तोत्र जय निर्मत्सरार्चित । जय कल्पद्रुमस्थान जय खट्वाङ्गराजित ॥ ८७॥ जयावसाननिर्मुक्त जय बिल्वार्चनप्रिय । जयाष्टमूर्ते सर्वात्मन् जयाचारविवर्धन ॥ ८८॥ जयापचारशमन जयापद्बान्धव प्रभो । जयोपचार सन्दोह जय पाशविमोचन ॥ ८९॥ जय तस्करमूर्धन्य जय मस्करिरूपग । जय कङ्कालरूपात्मन् जय शङ्कातिदूरग ॥ ९०॥ जय शापास्त्रदमन जय मार्ताण्डभैरव । जय पञ्चासनासीन जय वञ्चकदुर्लभ ॥ ९१॥ जय दुर्भगसंहार जय सद्भावभावित । जय सर्वग सर्वेश जय सर्वशुभास्पद ॥ ९२॥ जय विष्ण्वादिजनक जय प्रमथनायक । जय सोमाग्निविशिख जय सर्वमरुत्सख ॥ ९३॥ जय कर्पूरदिव्याङ्ग जय सर्वान्तरङ्गग । जय पालितभक्तौघ जयाभक्तविदूरग ॥ ९४॥ जय कल्पितवैरिञ्च जय वञ्चितवञ्चक । जय गङ्गाजटाजूट जय सन्ध्यामहानट ॥ ९५॥ जय वर्णितवैकुण्ठ जय मानितकर्मठ । जय चन्द्रमहाचूड जय भर्ग विभो मृड ॥ ९६॥ जय हृत्पङ्कजारूढ जय विश्वार्तिहन् दृढ । जय दुःखार्तिहरण जय भोगिविभूषण ॥ ९७॥ जय बिल्वार्चनप्रीत जयामितसुखप्रद । जय मन्नाथ सन्नाथ जय दारितमन्मथ ॥ ९८॥ जया शैलात्मजार्धाङ्ग जय भक्तानुरञ्जन । जय देवारिविजय जय प्रीतधनाधिप ॥ ९९॥ जय कान्तारनिलय जय सर्वजगन्मय । जय नागेन्द्रसद्धार जय दीप्यत्कलेवर ॥ १००॥ जय नीलालकालोल जय दीनैकवत्सल । जय विख्यातविभव जय सुप्रीतसंस्तव ॥ १०१॥ जय सर्वज्ञ सर्वेश जय शौर्यैकवासभूः । जय रत्नमहाभूष जय धारितदुर्विष ॥ १०२॥ जयाम्बरितदिग्जाल जय प्रख्यातसाहस । जय सद्वाहनारूढ जय स्वीकृतविग्रह ॥ १०३॥ जय कण्ठमहाक्ष्वेल जय श्रीकृष्णपिङ्गल । जय सर्वसुराध्यक्ष जय विश्वाधिनायक ॥ १०४॥ (फलम्) स्कन्द उवाच । इत्येवं मदनारातेः स्तोत्रं यस्तु पठेन्नरः । विमुच्यते जन्मबन्धैः प्राप्नुयाद्भोगमुत्तमम् ॥ १०५॥ जयस्तोत्रमिदं पुण्यं पूजान्ते कीर्तनीयकम् । शिवस्य सन्निधौ जप्त्वा शिवलोकं स गच्छति ॥ १०६॥ ॥ इति शिवरहस्यान्तर्गते सुब्रह्मण्यप्रोक्तं शिवजयस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥ - ॥ श्रीशिवरहस्यम् । ईशाख्यः द्वादशमांशः । ३४ जयस्तुतिः । ४-१०६ ॥ - .. shrIshivarahasyam . IshAkhyaH dvAdashamAMshaH . 34 jayastutiH . 4-106 .. Notes: Subrahmaṇya सुब्रह्मण्य spells out (for Jaigīṣavya जैगीषव्य) the ŚivaJayaStotram शिवजयस्तोत्रम् for eulogizing Śiva शिव. The composition is in Anuṣṭubh Candaḥ अनिष्टुभ् छन्दः. ŚivaJayaStutiḥ शिवजयस्तुतिः can be accessed from one of the links given below. Proofread by Ruma Dewan
% Text title            : Shivajaya Stotram
% File name             : shivajayastotram.itx
% itxtitle              : shivajayastotram (shivarahasyAntargatam)
% engtitle              : shivajayastotram
% Category              : shiva, shivarahasya, stotra
% Location              : doc_shiva
% Sublocation           : shiva
% Language              : Sanskrit
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Transliterated by     : Ruma Dewan
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% Description/comments  : shrIshivarahasyam | IshAkhyaH dvAdashamAMshaH | 34 jayastutiH | 4-106 ||
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% Latest update         : December 28, 2024
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% Site access           : https://sanskritdocuments.org

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